Saturday, February 26, 2011

पतझड़ सावन बसंत बहार एक बरस के मोसम चार ,पांचवा मोसम प्यार का,

पतझड़ सावन बसंत बहार एक बरस के मोसम चार ,पांचवा मोसम प्यार का, बसंतोत्सव/ मदनोत्सव की हार्दिक बधाइयाँ





आहा.... जेसे प्रतीत हो रहा है मदनोत्सव का ओपचारिक रूप से श्री गणेश हो चुका है ,,

इस गीत के मुखड़े ने जेसे प्रक्रति के सुन्दर अप्रितम नेसर्गिक सोंदर्य का बखान किया हो ... जो आजकल सुन्दर पोस्टरों में दिखाई देती है ,,असली का तो मानव ने बैंड बजा दिया ..सब पेड़ काट डाले और नदिया गन्दी कर दी और सुखा दी ..

आहा ..

सुविधाभोगी मनुष्य जिसे वातानुकूलित वातावरण में निवास करना पसंद है के लिए इस गीत के लेखक ने चारों ऋतुओं को प्यार के लायक नहीं समझा और अपनी तरफ से पांचवे मोसम का सृजन किया जो प्यार करने के लिए पूर्ण वातानुकूलित है ...जबकि ये ही चारों ऋतुये इस रूमानी ख्याल को मन में लाने की जिम्मेदार है ..

असली ऋतुएँ मानव के लालच मी भेंट चढ़ चुकी है ...आहा इसी कारण गीतकार ने पांचवी ऋतू का सर्जन किया है...

आहा ..... मन मयूर नाच उठा है ....

बसंत बहार सोसायटी की सभी सखियों के हर्दय मन ने मदनोस्तव को मनाने का निर्णय लिया ..

ये विचार आने के बाद सभी सखियों ने पीत वस्त्र धारण किये ..

वातानुकूलित फ्लेटों का तापक्रम एसी चलवा कर अनुकूल किया .. तदनुसार ..

एक सखी दूसरी सखी से बोली ,,है सखी इस ऋतू का यही तो आनंद है की न तो इसमें सर्दी लगती है और न ही गर्मी ..इसी कारण इसे महसूस करने के लिए एसी चलवाया है ..

(हकीकत में तो आजकल बसंत ऋतू में ही गर्मी के मारे पसीने छुट जाते है)

आहा ..पीत वस्त्र धारण कर सभी सखिया शोपिंग माल में भ्रमण कर रही है ताकि मदनोत्सव के इस रूमानी क्षण में अपने मनमीत को कोई उपहार देकर इसे अविस्मरनीय बनाया जा सके ..

आहा .. सभी ने इस समय की प्रासंगिकता को देखते हुए प्लास्टिक के पीले फूल वाले गुलदस्ते ख़रीदे ..जिनमे खुशबु का सर्वथा अभाव है पर उसके पीछे भावनाओं की खुशबु का समंदर ठाठे मार रहा है ..

उनके पति भी इस अवसर पर पीछे नहीं हैं उन्होंने इस समय को यादगार बनाने के लिए ..अपनी जीवन संगिनियों के लिए उपहार ख़रीदे हैं ..

अधिकांश सखियों ने सरसों के खेत वाले पोस्टर खरीदे हैं ताकि कमरे में लगा कर उत्सव को सजीव किया जा सके ..

असली सरसों के खेत में तो कुछ सखियों के पति जो प्रोपर्टी डीलर हैं उन्होंने प्लाट काट दिए इस कारण अब सरसों के खेत बड़ी बड़ी मल्टी स्टोरी बिल्डिंगों में बदल गए हैं ..

आहा ... जब असली सरसों के खेत थे तब भी इतना आनंद नहीं आता था ..क्योंकि कर्ज़ में डूबे किसानो को बसंत बहार काटने को दोड़ती थी .. पर जब से उन्होंने अपनी जमीन बेचीं और तब से वे भी इस उत्सव को जोरशोर से मना रहें हैं .. आहा सभी किसानों ने अपनी गायें भेंसे बेच दी है और देश की मुख्य धारा में आ गए हैं ...आहा और वे भी मुख्य धारा में हैं इसे साबित करने के लिए सभी ने अब पामेरियन कुत्ते खरीद लिए है ..

आहा .... कितना आनन्द आ रहा है इन कुत्तों के साथ प्रातकाल में भ्रमण करना ...आहा ..

कुछ किसानों ने इंटीरिअर डेकोरेसन की दुकाने खोल दी और वे नकली फूल बेच रहें हैं और असली फूलों से ज्यादा लाभ कमा रहें हैं ..

आहा ...मेरा मन मयूर भी इस उत्सव के प्रति आसक्त हो रहा है ..में भी अपनी जमीन किसी दलाल को बेच कर इस उत्सव में शामिल हो जाऊं ..

आहा ...भले ही खेत असली नहीं हो सरसों के फूल असली नहीं हो ....

आहा ..पर नोट असली है जिसके कारण बिना सरसों के खेत के ही इस मदनोत्सव का आनंद प्रतीत हो रहा है .. आहा कितना आसान है दलाली करना और कितना मुश्किल है खेती करना ..

आहा ...पांचवा मोसम प्यार का इंतज़ार का .. किसी दलाली का ..

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