Saturday, February 26, 2011
कुत्ता विहीन क़स्बा
हमारे कसबे की नगरपालिका ने निर्णय लिया है की पुरे कसबे को जल्दी ही कुत्ता विहीन कर देगी. यानि अब कुछ समय बाद पुरे कस्बे के सभी कुत्ते गधे के सींग की भांति कस्बे से गायब हो जायेंगे .. उक्त कुत्ता पकड़ो अभियान पशुपालन विभाग की सहायता से चलाया जाएगा.जो पकडे गए सभी नर कुत्तों की नसबंदी करके जंगल में छोड़ देंगे..
उक्त निर्णय कहने को तो कस्बे में कुत्तों की दादागिरी और मनमानी के चलते गणमान्य नागरिकों के बार बार नगरपलिका को आग्रह करने के बाद लिया गया.
इस बारे में इन गणमान्यों का कहना है की इन कुत्तों ने पुरे कस्बे का वातावरण बिगाड़ रखा है कई राहगीरों को काट खाया है. पर मुझे हमारे माननीय महोदय जी के एक मुहँ लगे चमचे ने कान में बताया की माननीय के एक रिश्तेदार को इनके घर आते समय रात को एक कुत्ते ने काट खाया, इसलिए माननीय जी ने कुत्तों का इस कस्बे से नामोनिशान मिटा देने की कसम खाई है..
में समझ गया की रात को देर से माननीय जी का रिश्तेदार इनके घर आया होगा तो गली के कुत्तों ने उसको काला चोर समझ के काट खाया होगा..
खेर कारण जो भी हो पर इस निर्णय से मुझे बड़ी चिंता हुई की कुता विहीन कस्बा तो बड़ा ही अजीब हो जाएगा...
सबसे पहला संकट तो मेरे सामने ही खड़ा हो जाएगा ...में प्रय्तेक मंगलवार हनुमान जी का व्रत रखता हूँ. व्रत खोलने के बाद में कुत्ते को रोटी डालता हूँ ऐसा करने के लिए पंडित ने मुझे ताकीद किया है..मेरे मुहल्ले की कई धार्मिक प्रवर्ती की महिलाएं विभिन्न वर त्योहारों पर व्रत रखती है और कुत्तों को रोटी खिलाती है...
कुत्ते भी ज्योंही व्रत खोलने का समय होता है और वे अपने तयशुदा घरों के सामने जाकर दूम हिलाने लग जाते हैं. महिलाएं भी पुण्य का लाभ अर्जित करने के लिए कुत्तों को बड़े ही प्रेम से रोटी खिलाती है ,,
कहते हैं इन्सान का सबसे अच्छा और वफादार मित्र कुत्ता ही होता है..और कुत्ते भी इसे समय समय पर रात को किसी आशंका या चोरों के आने पर जोर जोर से भोंक कर अपने दायित्व का निर्वहन करते हैं..
मेने माननीय जी के चमचे से पूछा भाई ये तो बताओ केवल सर्वहारा कुत्तों (परम आदरणीय हरिशंकर जी परसाई ने अपने प्रसिद्ध व्यंग एक मध्यवर्गीय कुत्ते में इसका उल्लेख किया था) यानि सडकिया कुत्तों को ही पकड़ा जाएगा या घरों में निवास करने वाले सुविधासंपन्न कुत्तों को भी पकड़ा जायेगा.
उन्होंने उत्तर दिया..महाशय आप भी कमाल की बात करते हैं, अरे भई..जो पालतू कुत्ते हैं उनको थोड़े ही पकड़ेंगे.. मेने सोचा आजकल किसी का भी पालतू बन जाओ तो कोई नहीं पकड़ेगा ..मुझे अच्छी तरह याद है माननीय जी के एक परम पिट्ठू पालतू चमचे के मंजले छोकरे को कालेज जाती छोकरी को छेड़ने के आरोप में पुलिस ने धर लिया तो उनके एक फोन पर छोड़ दिया और उलटे उस लड़की को लताड़ पिलाई की इतने बदन दिखाऊ वस्त्र धारण कर सडक पर निकलोगी तो कोई छेड़ेगा नहीं तो क्या करेगा ,,,लड़की बेचारी रुआंसी हो गई और उसके बाप ने भी इज्जत बचाने के चक्कर में बात आगे नहीं बढाई..
में कुत्ता विहीन कस्बे के भविष्य के बारे में गंभीर हो कर सोचने लगा की अब तक तो जब कभी रात को चोर आते हैं तो पहले सडक के कुत्ते भोंकते हैं और इनकी आवाज़ में फिर ये घरों में रहने वाले सुविधा सम्पन्न कुत्ते भी सुर मिलाते हैं ..असल में अगर सडक के कुत्ते नहीं भोंके तो ये तो अपने बिस्तेर में ही पड़े रहे और आये दिन घरों में चोरियां होती रहे.. अब ना जाने क्या होगा ..? हमे सडक के कुत्तों का शुक्रिया अदा करना चहिए की उनके कारण अभी तक कई घर चोरों से बचे रहें हैं..
कुत्ता विहीन कस्बा कितना अजीब लगेगा ..
में आये दिन देखता हूँ की कभी हमारे बाजू वाले मुहल्ले का कोई कुत्ता हमारे मुहल्ले में आ जाता है तो सभी कुत्ते संगठित होकर उसपर हमला कर देते हैं और उसे सीमापार खदेड़ कर ही दम लेते हैं ..उनके इस कार्य को देख कर मेने कई बार सोचा की ये जितने अपने मुहल्ले की सीमाओं की रखवाली अपना परम कर्तव्य समझ के करते हैं उसकी आधी भी अगर हमारे देश की सीमा पर तेनात सिपाही करे तो देश में आतंकवादी नहीं घुस पायेंगे..
मुहल्ले के सभी कुत्ते मुहल्ले की सीमाओं की रक्षा रात और दिन चाक चौबंद हो कर ड्यूटी बदल -बदल कर करते हैं ..गोया ये की दुश्मन किसी भी सूरत में अंदर ना आने पायें ..ये अपने मुहल्ले की संप्रभुता को अक्षुण बनाये के लिए सदेव तत्पर रहते हैं ..
सुबह सुबह सभी कुत्ते कुश्ती लड़ते हैं, दौड़ लगते हैं ,,व्यायाम करते हैं और हमे हमारे स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहने का सन्देश देते हैं ..
आत्मरक्षा करने के नायब तरीके कोई इनसे सीखे ..में सर्दी के दिनों में अक्सर देखता हूँ की कुत्ते हमारे मुहल्ले की होटलों और ढाबों की भट्टियों से सुबह सुबह अपने बदन से राख झाड़ते हुए निकलते हैं ,,,ये उनका सर्दी से बचने का अपना इजाद किया हुआ तरीका है ..
ये सफाई पसंद भी बहुत है कई बार कोई जानवर सडक पर मर जाता है तो मुन्सीपालटी से मृत जानवर उठाने वाली गाड़ी आये उसे पहले ये उसकी दावत उड़ा जाते हैं ..हम इस बारे में सोचते भी हैं की अगर कुत्ते नहीं हो तो पूरा क़स्बा सड़ने लग जाए ..
मुझे कई बाते कुत्तों के सम्बन्ध में याद आ रही है ..की अगर हमारे समाज में कुत्ते नहीं हो तो मानव का जीवन संकट में पड़ जाएगा .....
सड़क छाप कुत्तों का अपना महत्त्व है इनका निस्वार्थ भाव से सामाजिक सेवा में पूरा योगदान है ..
आपका का क्या विचार है इस बारे में आपकी राय आमंत्रित है ...
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