पतझड़ सावन बसंत बहार एक बरस के मोसम चार ,पांचवा मोसम प्यार का, बसंतोत्सव/ मदनोत्सव की हार्दिक बधाइयाँ
आहा.... जेसे प्रतीत हो रहा है मदनोत्सव का ओपचारिक रूप से श्री गणेश हो चुका है ,,
इस गीत के मुखड़े ने जेसे प्रक्रति के सुन्दर अप्रितम नेसर्गिक सोंदर्य का बखान किया हो ... जो आजकल सुन्दर पोस्टरों में दिखाई देती है ,,असली का तो मानव ने बैंड बजा दिया ..सब पेड़ काट डाले और नदिया गन्दी कर दी और सुखा दी ..
आहा ..
सुविधाभोगी मनुष्य जिसे वातानुकूलित वातावरण में निवास करना पसंद है के लिए इस गीत के लेखक ने चारों ऋतुओं को प्यार के लायक नहीं समझा और अपनी तरफ से पांचवे मोसम का सृजन किया जो प्यार करने के लिए पूर्ण वातानुकूलित है ...जबकि ये ही चारों ऋतुये इस रूमानी ख्याल को मन में लाने की जिम्मेदार है ..
असली ऋतुएँ मानव के लालच मी भेंट चढ़ चुकी है ...आहा इसी कारण गीतकार ने पांचवी ऋतू का सर्जन किया है...
आहा ..... मन मयूर नाच उठा है ....
बसंत बहार सोसायटी की सभी सखियों के हर्दय मन ने मदनोस्तव को मनाने का निर्णय लिया ..
ये विचार आने के बाद सभी सखियों ने पीत वस्त्र धारण किये ..
वातानुकूलित फ्लेटों का तापक्रम एसी चलवा कर अनुकूल किया .. तदनुसार ..
एक सखी दूसरी सखी से बोली ,,है सखी इस ऋतू का यही तो आनंद है की न तो इसमें सर्दी लगती है और न ही गर्मी ..इसी कारण इसे महसूस करने के लिए एसी चलवाया है ..
(हकीकत में तो आजकल बसंत ऋतू में ही गर्मी के मारे पसीने छुट जाते है)
आहा ..पीत वस्त्र धारण कर सभी सखिया शोपिंग माल में भ्रमण कर रही है ताकि मदनोत्सव के इस रूमानी क्षण में अपने मनमीत को कोई उपहार देकर इसे अविस्मरनीय बनाया जा सके ..
आहा .. सभी ने इस समय की प्रासंगिकता को देखते हुए प्लास्टिक के पीले फूल वाले गुलदस्ते ख़रीदे ..जिनमे खुशबु का सर्वथा अभाव है पर उसके पीछे भावनाओं की खुशबु का समंदर ठाठे मार रहा है ..
उनके पति भी इस अवसर पर पीछे नहीं हैं उन्होंने इस समय को यादगार बनाने के लिए ..अपनी जीवन संगिनियों के लिए उपहार ख़रीदे हैं ..
अधिकांश सखियों ने सरसों के खेत वाले पोस्टर खरीदे हैं ताकि कमरे में लगा कर उत्सव को सजीव किया जा सके ..
असली सरसों के खेत में तो कुछ सखियों के पति जो प्रोपर्टी डीलर हैं उन्होंने प्लाट काट दिए इस कारण अब सरसों के खेत बड़ी बड़ी मल्टी स्टोरी बिल्डिंगों में बदल गए हैं ..
आहा ... जब असली सरसों के खेत थे तब भी इतना आनंद नहीं आता था ..क्योंकि कर्ज़ में डूबे किसानो को बसंत बहार काटने को दोड़ती थी .. पर जब से उन्होंने अपनी जमीन बेचीं और तब से वे भी इस उत्सव को जोरशोर से मना रहें हैं .. आहा सभी किसानों ने अपनी गायें भेंसे बेच दी है और देश की मुख्य धारा में आ गए हैं ...आहा और वे भी मुख्य धारा में हैं इसे साबित करने के लिए सभी ने अब पामेरियन कुत्ते खरीद लिए है ..
आहा .... कितना आनन्द आ रहा है इन कुत्तों के साथ प्रातकाल में भ्रमण करना ...आहा ..
कुछ किसानों ने इंटीरिअर डेकोरेसन की दुकाने खोल दी और वे नकली फूल बेच रहें हैं और असली फूलों से ज्यादा लाभ कमा रहें हैं ..
आहा ...मेरा मन मयूर भी इस उत्सव के प्रति आसक्त हो रहा है ..में भी अपनी जमीन किसी दलाल को बेच कर इस उत्सव में शामिल हो जाऊं ..
आहा ...भले ही खेत असली नहीं हो सरसों के फूल असली नहीं हो ....
आहा ..पर नोट असली है जिसके कारण बिना सरसों के खेत के ही इस मदनोत्सव का आनंद प्रतीत हो रहा है .. आहा कितना आसान है दलाली करना और कितना मुश्किल है खेती करना ..
आहा ...पांचवा मोसम प्यार का इंतज़ार का .. किसी दलाली का ..
Saturday, February 26, 2011
है देवियों और सज्जनों ...गरीबी कायम रहे ..तभी पुण्य का प्रताप रहेगा
है देवियों और सज्जनों ....
शास्त्रों में वर्णित है की ...
विद्यादान महादान ...अर्थात ..समाज में ...मूर्खों का कायम रहना आवशयक है ताकि इस पुण्य का लाभ अर्जित किया जा सके .
वस्त्रदान महादान ,,,.अर्थात ..समाज में नंगों और फकीरों का कायम रहना आवशयक है ताकि इस पुण्य का लाभ अर्जित किया जा सके .
अन्नदान महादान ,,,.अर्थात ..समाज में भूखों का कायम रहना आवशयक है ताकि इस पुण्य का लाभ अर्जित किया जा सके .
अर्थात ...
गरीबी विद्यमान रहेगी तभी पुण्य का प्रताप रहेगा .. ये चिंता की बात नहीं है ये पुण्य करने का सुअवसर है ..
गरीबी कायम रहे ..
ये हमारे देश की कंगाली ,तंगहाली और गरीबी का ही प्रताप है जिसके कारण सरकार कई प्रकार की योजनाये चला रही है ताकि चपरासी की जेब, बाबु की टेबल की दराज, अफसर की तिजोरी और नेता का लोकर और स्विस बैंक भर सके ..
हमारे ये सभी जनसेवक गरीबों की सेवा करने के लिए रात-दिन प्रयत्नशील हैं ,,इनके अनुपम प्रयासों के कारण ही गरीबी बनी हुई है और इन्हें दरिद्र नारायण की सेवा करने का सुअवसर मिला हुआ है ..
में कभी कभी चिंतित हो उठता हूँ की कभी गरीब नहीं रहे तो इस पुण्य का लाभ केसे अर्जित करेंगे .?
मुझे चिंतित देख हमारे माननीय ने कहा चिंता की बात नहीं हमने इस प्रकार की व्यवस्था कर रखी है गरीबी कभी दूर नहीं होगी.... और जब तक चाँद और सूरज हैं इस पुण्य का लाभ हमें मिलता रहेगा और हमारा इस लोक के साथ साथ परलोक भी सुधरता रहेगा ..
दरिद्र नारायण हमारे देश में बहुताय में पाया जाने वाला जंतु है ,,इस प्रजाति के जंतु अन्य देशों में एक साथ इतनी बड़ी संख्या में नहीं पाए जाते हैं... इसी कारण इसके दर्शन लाभ लेने के लिए विदेशी जातरू भी हमारे देश में समय समय पर आते रहते हैं .. इनकी इतनी भारी संख्या होने का मुख्य कारण यहाँ की इनके कायम रहने वाली अनुकूल आर्थिक और सामाजिक परिस्थतियाँ हैं जो अन्य देशों में पाई नहीं जाती ... इस प्रकार ये जंतु इस विशाल अभ्यारण्य में निडर हो कर विचरण करते हैं ....
विदेशी जातरू भी पुण्य कमाने के लिए दरिद्र नारायण की दान पेटी में चढावा चढाते हैं ....इन दान पेटियों के तालों की चाबियाँ सरकारी पंडो के जिम्मे रहती है
जिस प्रकार भगवान के मंदिर का चढावा खाने से सभी पण्डे गोलमटोल और फुल कर कुप्पे बने रहते हैं और उनके मुखमंडल पर सदेव प्रसन्नता और संतोष के भाव रहते हैं ठीक उसी भांति दरिद्र नारायण का चढावा खाने से यही भाव सरकारी पंडो के मुखमंडल पर रहते हैं ..
हमारे देश के दरिद्र नारायण की ये विशेषता है की वो संकट में भी हँसता रहता है और गरीब होने का दोष सरकार को नहीं देता, वो किस्मत को देता है जो की उसकी फूटी हुई है और जब कभी वो सरकार को उसकी फूटी किस्मत दिखाता है, सरकार उसको रिपेयर करने के असफल प्रयास करती रहती है .. और वो इन असफल प्रयत्नों से ही अभिभूत रहता है की सरकार उनका विकास कर रही है ..
मेने इस बार 26 जनवरी यानि गणतंत्र दिवस पर बच्चों में बांटी जाने वाली मिठाई के टोकरे में हलवाई की दुकान पर ही सरकारी पण्डे को मुहँ मारते देखा तब मेरा विश्वास और भी पक्का हो गया की गरीबी कायम रहेगी ताकि सतत रूप से पुण्य अर्जित किया जा सके क्योंकि पुण्य कमाने के आशार्थी सरकारी पण्डे छोटे से छोटा अवसर भी नहीं चुक रहे हैं ..
क्या आप नहीं कमाना चाहेंगे पुण्य के प्रताप का लाभ उठाना ..
शास्त्रों में वर्णित है की ...
विद्यादान महादान ...अर्थात ..समाज में ...मूर्खों का कायम रहना आवशयक है ताकि इस पुण्य का लाभ अर्जित किया जा सके .
वस्त्रदान महादान ,,,.अर्थात ..समाज में नंगों और फकीरों का कायम रहना आवशयक है ताकि इस पुण्य का लाभ अर्जित किया जा सके .
अन्नदान महादान ,,,.अर्थात ..समाज में भूखों का कायम रहना आवशयक है ताकि इस पुण्य का लाभ अर्जित किया जा सके .
अर्थात ...
गरीबी विद्यमान रहेगी तभी पुण्य का प्रताप रहेगा .. ये चिंता की बात नहीं है ये पुण्य करने का सुअवसर है ..
गरीबी कायम रहे ..
ये हमारे देश की कंगाली ,तंगहाली और गरीबी का ही प्रताप है जिसके कारण सरकार कई प्रकार की योजनाये चला रही है ताकि चपरासी की जेब, बाबु की टेबल की दराज, अफसर की तिजोरी और नेता का लोकर और स्विस बैंक भर सके ..
हमारे ये सभी जनसेवक गरीबों की सेवा करने के लिए रात-दिन प्रयत्नशील हैं ,,इनके अनुपम प्रयासों के कारण ही गरीबी बनी हुई है और इन्हें दरिद्र नारायण की सेवा करने का सुअवसर मिला हुआ है ..
में कभी कभी चिंतित हो उठता हूँ की कभी गरीब नहीं रहे तो इस पुण्य का लाभ केसे अर्जित करेंगे .?
मुझे चिंतित देख हमारे माननीय ने कहा चिंता की बात नहीं हमने इस प्रकार की व्यवस्था कर रखी है गरीबी कभी दूर नहीं होगी.... और जब तक चाँद और सूरज हैं इस पुण्य का लाभ हमें मिलता रहेगा और हमारा इस लोक के साथ साथ परलोक भी सुधरता रहेगा ..
दरिद्र नारायण हमारे देश में बहुताय में पाया जाने वाला जंतु है ,,इस प्रजाति के जंतु अन्य देशों में एक साथ इतनी बड़ी संख्या में नहीं पाए जाते हैं... इसी कारण इसके दर्शन लाभ लेने के लिए विदेशी जातरू भी हमारे देश में समय समय पर आते रहते हैं .. इनकी इतनी भारी संख्या होने का मुख्य कारण यहाँ की इनके कायम रहने वाली अनुकूल आर्थिक और सामाजिक परिस्थतियाँ हैं जो अन्य देशों में पाई नहीं जाती ... इस प्रकार ये जंतु इस विशाल अभ्यारण्य में निडर हो कर विचरण करते हैं ....
विदेशी जातरू भी पुण्य कमाने के लिए दरिद्र नारायण की दान पेटी में चढावा चढाते हैं ....इन दान पेटियों के तालों की चाबियाँ सरकारी पंडो के जिम्मे रहती है
जिस प्रकार भगवान के मंदिर का चढावा खाने से सभी पण्डे गोलमटोल और फुल कर कुप्पे बने रहते हैं और उनके मुखमंडल पर सदेव प्रसन्नता और संतोष के भाव रहते हैं ठीक उसी भांति दरिद्र नारायण का चढावा खाने से यही भाव सरकारी पंडो के मुखमंडल पर रहते हैं ..
हमारे देश के दरिद्र नारायण की ये विशेषता है की वो संकट में भी हँसता रहता है और गरीब होने का दोष सरकार को नहीं देता, वो किस्मत को देता है जो की उसकी फूटी हुई है और जब कभी वो सरकार को उसकी फूटी किस्मत दिखाता है, सरकार उसको रिपेयर करने के असफल प्रयास करती रहती है .. और वो इन असफल प्रयत्नों से ही अभिभूत रहता है की सरकार उनका विकास कर रही है ..
मेने इस बार 26 जनवरी यानि गणतंत्र दिवस पर बच्चों में बांटी जाने वाली मिठाई के टोकरे में हलवाई की दुकान पर ही सरकारी पण्डे को मुहँ मारते देखा तब मेरा विश्वास और भी पक्का हो गया की गरीबी कायम रहेगी ताकि सतत रूप से पुण्य अर्जित किया जा सके क्योंकि पुण्य कमाने के आशार्थी सरकारी पण्डे छोटे से छोटा अवसर भी नहीं चुक रहे हैं ..
क्या आप नहीं कमाना चाहेंगे पुण्य के प्रताप का लाभ उठाना ..
कुत्ता विहीन क़स्बा
हमारे कसबे की नगरपालिका ने निर्णय लिया है की पुरे कसबे को जल्दी ही कुत्ता विहीन कर देगी. यानि अब कुछ समय बाद पुरे कस्बे के सभी कुत्ते गधे के सींग की भांति कस्बे से गायब हो जायेंगे .. उक्त कुत्ता पकड़ो अभियान पशुपालन विभाग की सहायता से चलाया जाएगा.जो पकडे गए सभी नर कुत्तों की नसबंदी करके जंगल में छोड़ देंगे..
उक्त निर्णय कहने को तो कस्बे में कुत्तों की दादागिरी और मनमानी के चलते गणमान्य नागरिकों के बार बार नगरपलिका को आग्रह करने के बाद लिया गया.
इस बारे में इन गणमान्यों का कहना है की इन कुत्तों ने पुरे कस्बे का वातावरण बिगाड़ रखा है कई राहगीरों को काट खाया है. पर मुझे हमारे माननीय महोदय जी के एक मुहँ लगे चमचे ने कान में बताया की माननीय के एक रिश्तेदार को इनके घर आते समय रात को एक कुत्ते ने काट खाया, इसलिए माननीय जी ने कुत्तों का इस कस्बे से नामोनिशान मिटा देने की कसम खाई है..
में समझ गया की रात को देर से माननीय जी का रिश्तेदार इनके घर आया होगा तो गली के कुत्तों ने उसको काला चोर समझ के काट खाया होगा..
खेर कारण जो भी हो पर इस निर्णय से मुझे बड़ी चिंता हुई की कुता विहीन कस्बा तो बड़ा ही अजीब हो जाएगा...
सबसे पहला संकट तो मेरे सामने ही खड़ा हो जाएगा ...में प्रय्तेक मंगलवार हनुमान जी का व्रत रखता हूँ. व्रत खोलने के बाद में कुत्ते को रोटी डालता हूँ ऐसा करने के लिए पंडित ने मुझे ताकीद किया है..मेरे मुहल्ले की कई धार्मिक प्रवर्ती की महिलाएं विभिन्न वर त्योहारों पर व्रत रखती है और कुत्तों को रोटी खिलाती है...
कुत्ते भी ज्योंही व्रत खोलने का समय होता है और वे अपने तयशुदा घरों के सामने जाकर दूम हिलाने लग जाते हैं. महिलाएं भी पुण्य का लाभ अर्जित करने के लिए कुत्तों को बड़े ही प्रेम से रोटी खिलाती है ,,
कहते हैं इन्सान का सबसे अच्छा और वफादार मित्र कुत्ता ही होता है..और कुत्ते भी इसे समय समय पर रात को किसी आशंका या चोरों के आने पर जोर जोर से भोंक कर अपने दायित्व का निर्वहन करते हैं..
मेने माननीय जी के चमचे से पूछा भाई ये तो बताओ केवल सर्वहारा कुत्तों (परम आदरणीय हरिशंकर जी परसाई ने अपने प्रसिद्ध व्यंग एक मध्यवर्गीय कुत्ते में इसका उल्लेख किया था) यानि सडकिया कुत्तों को ही पकड़ा जाएगा या घरों में निवास करने वाले सुविधासंपन्न कुत्तों को भी पकड़ा जायेगा.
उन्होंने उत्तर दिया..महाशय आप भी कमाल की बात करते हैं, अरे भई..जो पालतू कुत्ते हैं उनको थोड़े ही पकड़ेंगे.. मेने सोचा आजकल किसी का भी पालतू बन जाओ तो कोई नहीं पकड़ेगा ..मुझे अच्छी तरह याद है माननीय जी के एक परम पिट्ठू पालतू चमचे के मंजले छोकरे को कालेज जाती छोकरी को छेड़ने के आरोप में पुलिस ने धर लिया तो उनके एक फोन पर छोड़ दिया और उलटे उस लड़की को लताड़ पिलाई की इतने बदन दिखाऊ वस्त्र धारण कर सडक पर निकलोगी तो कोई छेड़ेगा नहीं तो क्या करेगा ,,,लड़की बेचारी रुआंसी हो गई और उसके बाप ने भी इज्जत बचाने के चक्कर में बात आगे नहीं बढाई..
में कुत्ता विहीन कस्बे के भविष्य के बारे में गंभीर हो कर सोचने लगा की अब तक तो जब कभी रात को चोर आते हैं तो पहले सडक के कुत्ते भोंकते हैं और इनकी आवाज़ में फिर ये घरों में रहने वाले सुविधा सम्पन्न कुत्ते भी सुर मिलाते हैं ..असल में अगर सडक के कुत्ते नहीं भोंके तो ये तो अपने बिस्तेर में ही पड़े रहे और आये दिन घरों में चोरियां होती रहे.. अब ना जाने क्या होगा ..? हमे सडक के कुत्तों का शुक्रिया अदा करना चहिए की उनके कारण अभी तक कई घर चोरों से बचे रहें हैं..
कुत्ता विहीन कस्बा कितना अजीब लगेगा ..
में आये दिन देखता हूँ की कभी हमारे बाजू वाले मुहल्ले का कोई कुत्ता हमारे मुहल्ले में आ जाता है तो सभी कुत्ते संगठित होकर उसपर हमला कर देते हैं और उसे सीमापार खदेड़ कर ही दम लेते हैं ..उनके इस कार्य को देख कर मेने कई बार सोचा की ये जितने अपने मुहल्ले की सीमाओं की रखवाली अपना परम कर्तव्य समझ के करते हैं उसकी आधी भी अगर हमारे देश की सीमा पर तेनात सिपाही करे तो देश में आतंकवादी नहीं घुस पायेंगे..
मुहल्ले के सभी कुत्ते मुहल्ले की सीमाओं की रक्षा रात और दिन चाक चौबंद हो कर ड्यूटी बदल -बदल कर करते हैं ..गोया ये की दुश्मन किसी भी सूरत में अंदर ना आने पायें ..ये अपने मुहल्ले की संप्रभुता को अक्षुण बनाये के लिए सदेव तत्पर रहते हैं ..
सुबह सुबह सभी कुत्ते कुश्ती लड़ते हैं, दौड़ लगते हैं ,,व्यायाम करते हैं और हमे हमारे स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहने का सन्देश देते हैं ..
आत्मरक्षा करने के नायब तरीके कोई इनसे सीखे ..में सर्दी के दिनों में अक्सर देखता हूँ की कुत्ते हमारे मुहल्ले की होटलों और ढाबों की भट्टियों से सुबह सुबह अपने बदन से राख झाड़ते हुए निकलते हैं ,,,ये उनका सर्दी से बचने का अपना इजाद किया हुआ तरीका है ..
ये सफाई पसंद भी बहुत है कई बार कोई जानवर सडक पर मर जाता है तो मुन्सीपालटी से मृत जानवर उठाने वाली गाड़ी आये उसे पहले ये उसकी दावत उड़ा जाते हैं ..हम इस बारे में सोचते भी हैं की अगर कुत्ते नहीं हो तो पूरा क़स्बा सड़ने लग जाए ..
मुझे कई बाते कुत्तों के सम्बन्ध में याद आ रही है ..की अगर हमारे समाज में कुत्ते नहीं हो तो मानव का जीवन संकट में पड़ जाएगा .....
सड़क छाप कुत्तों का अपना महत्त्व है इनका निस्वार्थ भाव से सामाजिक सेवा में पूरा योगदान है ..
आपका का क्या विचार है इस बारे में आपकी राय आमंत्रित है ...
मेरा संस्कारित मध्यवर्गीय सपना
जीवन में सफल होना सबका सपना होता है ,,मेरा भी है ..
सपने भी बड़े ही वर्गीय होते हैं...अमीर का सपना अलग होता है वहीँ गरीब का अलग
अंधे का सपना आँख मिल जाने का होता है ..ये अलग बात है की आंख मिल जाने के बाद वो संतोष से रह पायेगा या वो नए सपने देखने लग जाएगा ..कई बार उसकी नींद हराम होने का भी कारक हो सकते हैं ..
मध्यवर्ग के सपनों का वर्ग भी अलग दृष्टीकोण का होता है .. वो आमतौर पर डाक्टर इंजिनियर टीचर एकाउंटेंट आदि बनने के सपने पालता है ..
कुवारी कन्या अच्छे वर का सपना देखती है इसकी चाहत इतनी प्रबल होती है की कई बार उस सपने को माँ बाप की अनुमति के पूर्व ही साकार कर लेती है ..
उसके लिए सोमवार का व्रत रखती है .उसका और उसके माता पिता का यही सपना होता है की वो संभावित वर सारी बलाएँ अपने सर ओढ़ ले ..
नेता टिकट मिलने का टिकट मिलने पर चुनाव जितने का चुनाव जितने के बाद मंत्री पद मिलने का और मंत्री पद मिलने के बाद चुनाव में जितने में खर्च हुए धन की वसूली केसे हो तथा कमीशन और कमसिन का जुगाड़ कैसे हो इसके सपने देखता है ...
सपने के एक अच्छी बात ये होती है की उसे देखने का पैसा नहीं लगता इसलिए कोई भी परंपरागत कंगाल भी किसी भी प्रकार के सपने देखने के लिए स्वतंत्र है ...और यही हमारे लोकतंत्र का मूलमंत्र है.. हम स्वतंत्र हैं इसका सही आभास सपने में ही होता है ...हमारे माननीय भी हमे राष्ट्र निर्माण के सपने देखने के लिए प्रेरित करते रहते हैं ... हम राष्ट्र निर्माण के सपने देखते हैं तब तक हमारे माननीय उनके लिए घरों बंगलों और हवेलियों का निर्माण कर लेतें है ..
यानि जनता बिना छेद वाली चुसनी इस आशा में चूसती रहती है की कभी रस आएगा पर रस उपर से ही चूस लिया जाता है ..
में भी सपने देखता रहता हूँ और इसका में भयंकर रूप से आदि हूँ .. मेने अपने जीवन कई प्रकार के सपने देखे हैं...में अक्सर जल्दी करोडपति बनने के सपने देखता हूँ ..और इसे साकार करने के लिए प्रयत्नशील भी हूँ ..मेरे कुछ मित्र इसे साकार करने में सफल हुए हैं ...
पर मेरा ये सपना साकार अभी तक साकार नहीं हुआ..
,,उसका मुख्य कारण मेरे मध्यवर्गीय संस्कार जो मुझे घोषित, अधिकारित, और व्यवसायिक तौर पर बेईमान नहीं बनने देते ..में इन कथित संस्कारों को छोड़ कर धनवान बनना चाहता हूँ और इसके लिए थोडा बेईमान भी बनने के लिए तत्पर हूँ , पर ये संस्कार मेरे साथ साए की तरह हमेशा रहते हैं ..
मेने कई बार सोचा की पैसा कमाने के लिए कोई छोटा मोटा चिंदी चोर ही बन जाऊं ...इसलिए रात को एक दो बार मेने एक दो मकानों में भी झाँका की कोई माल हो तो ले उड़ू..पर अन्दर बंधे पालतू कुत्ते ने जब मुझे घुर कर देखा तो मेरी हिम्मत पस्त हो गई और चोर बनने का ख्याल त्याग दिया ..
मुझे इस बात का ज्ञान है और मेरा अर्थशास्त्र कहता है की जिन घरों में विदेशी नस्ल के कुत्ते होते हैं ..उन्ही घरों में माल होने की सम्भावना ज्यादा होती है ..भारत के बिना कुत्तो वाले घरों में तो कई बार आटे के डब्बे भी खाली मिलते है ..और इसी कारण इस प्रकार के घरों के मालिक बड़े ही धार्मिक प्रवर्ती के होते है क्योंकि आधे से उपवास रखने से अनाज कम खत्म होता है ..हमारे स्वर्गीय प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी ने भी उपवास रखने के लिया आव्हान किया था ..
गाँधी जी को तो पता था की देश चोट्टो के हाथों में जा रहा है इसलिए जनता आधे समय भूखे मरेगी..इसीलिए उन्होंने देश की जनता को पहले से ही उपवास का मानव जीवन में कितना महत्त्व है बता दिया था ..
मेने सफल होने के और भी प्रयास किये ...मेने एक बार एक आदमी को नोकरी लगाने का गच्चा देकर कुछ राशी झटक ली ...थोड़े दिन इंतजार करने के बाद वो एक दिन घर आ गया ...
मेने मेरे लड़के से कहा ..जा उसको बोल दे में घर नहीं हूँ ....लड़का भी आखिर मेरी ही ओलाद ..उसने उन महाशय से कहा पापा घर नहीं है ..तो उसने कहा तो फिर तुम्हारे पापा कहाँ है ..? मेरे सुपुत्र ने कहा जी वो घर में है ..मेने अपना माथा पीट लिया ...
में झूठ भी ढंग से नहीं बोल सकता झूठ बोलू तो काला कोवा काटे उससे पहले तो मेरी दिल की धड़कन तेज हो जाती है ...और गला खुश्क हो जाता है ...और सामने वाला एक मिनट में ताड़ जाता है .. और काटने के लिए कोवे की जरुरत ही नहीं रहती ..
एक बार मुझे सिनेमा में दो लुच्चों ने रगड़ दिया ..कारण ये की वो एक अति सुन्दर महिला के साथ संस्क्रती के विरुद्ध आचरण कर रहे थे ...मेने मना किया तो ....
कुछ लोग बोले भई एक दो तो तुम भी जमाते ..मेने कहा अरे वो तो में उनको छटी का दूध याद दिला देता पर में झगड़ा नहीं बढ़ाना चाहता था ..असल में मेरी हिम्मत ही नहीं है झगड़ा करने ..बस यूँही शेखी बघार रहा था ..ताकि मेरी कथित इज्ज़त बची रहे ..
कुल जमा बात ये की में भी उन मध्यवर्गीय लोगो में से हूँ जो अपनी ठुकाई हो जाए तो भी संस्कारवान होने का बहाना कर लेते हैं ..और घर आ जाते है और सूजे हुए थोबड़े के बारे में बाइक से नीचे गिरने का कारण बता देते हैं .. खेर जो भी अपनी इज्ज़त और संस्कृति बचाने में जरुर सफल हूँ ..हांलाकि इससे मुझे घाटा होता है ...पिता जी ने इज्ज़त रूपी बैल की पूंछ पकड़ा दी उसे छोड़ नहीं सकता चाहे वो मुझे जब चाहे घसीटे ..यही मेरी विरासत है ...
दुकान पर सामन लेने जाता हूँ दुकानदार खुल्ले नहीं होने का बहाना कर माचिस और टॉफी पकड़ा देता है ,,,विरोध करने पर वो मुझे घूर कर देखता है ..में चुपचाप रवाना हो जाता हूँ ..
केवल सपने देखता हूँ और खुश रहता हूँ ..
ख्याली घोड़े दोड़ा कर ही संतोष में हूँ .. दफ्तर के लोग जब कभी हड़ताल करते हैं में जुलुस में सबसे पीछे रहता हूँ ताकि कोई देख नहीं ले ...
एक बार तो मुझे डाकू बनने का ख्याल आया ...पर एक दिन टीवी पर एक डाकू का एनकाउंटर देखा जिसमे वो सडक पर मरे कुत्ते की तरह पड़ा था ..तो मेरी हिम्मत जवाब दे गई ...
में अपने जीवन में सफल होने के लिए तय ही नहीं कर पाया की क्या करूँ ..मेरा मन था की में गायक बनू तो पिताजी ने कहा ..भांड बनोगे ..इतने कुलीन घराने के हो कर ऐसे सोचते हो ....
फिर ध्यान में आया की आजकल खिलाडी रातो रात अमीर बन रहे हैं ..तो मेने क्रिकेट खेलना शुरू किया ..तो पिताजी ने कहा ये धोबी का धोवना छोड़ो और पढाई करो ..
एक लड़की सामने वाले घर में रहती थी मुझे देख कर वो मुस्कराती थी ...अब मुझे ये पता नहीं था की वो मेरी मुर्खता या लल्लूपन पर मुस्कराती है या मुझ पर आसक्ति से मुस्कराती है ...
में डर और झिझक के मारे उससे कभी पूछ ही नहीं पाया ..मुझे याद है की एक बार मेरे मुहल्ले के एक शोहदे ने एक कन्या का रास्ते में हाथ पकड़ कर प्रेम निवेदन किया ..उसे ऐसा करते कुछ लोंगो ने देख लिया ..उन्होंने उसकी वो धुनाई की ..बस पूछो मत ..वो मंज़र मुझे आज भी ताज़ा था ..और ये ताज़ा ही रहा और लड़की की शादी हो गई ..
खेर शादी मेरी भी हुई और भाग्य से पत्नी भी सुन्दर मिली ...संस्कारों के कारण नहीं बल्कि उसे कोई टपोरी छेड़े नहीं ,या कोई सज्जन घूरे नहीं में बाहर कम ही लेजाता हूँ ..
आजकल शराफत के भी पैमाने बदल गए हैं ...इस कारण कोई भी व्यक्ति किसी सुन्दर महिला को घूरे तो इसे बुरा नहीं माना जाता ..घूरने का अधिकार तो आजकल शास्वत हो गया है ..सभी घूरते हैं
छेड़ना टपोरी का काम है ..और ये संख्या भी बहुताय में हो गई है ..
एक बार एक सज्जन ने मेरी पत्नी को घूरा.. मेने कहा उधर मत देखो ...पत्नी बोली घूर ही तो रहा है ...मेने सोचा कल को कोई टपोरी छेड़ेगा तो कह देगी छेड़ ही तो रहा है ..बलात्कार तो नहीं कर रहा है ..पर में संस्कार वान हूँ इसलिए चुपचाप उसे घर ले आया ...और शुक्र मनाया की ..तीसरे प्रकार की दुर्घटना नहीं हुई ...अन्यथा
मेरे संस्कारों का जुलुस निकल जाता ..
कुल मिला कर मेने घर की इज्ज़त बचाने के लिए अपने सभी सपनो को कुर्बान कर दिया ,,,जब भी किसी सपने को साकार करने आगे कदम बढ़ाता तो ..मेरे संस्कार मुझे रोक लेते ..
में अपने जीवन में ना घोडा बन सका ...और ना ही गधा बन सका ... दिन में संस्कार साए की तरह साथ में रहते हैं और रात में सपने बन कर ....
सपने भी बड़े ही वर्गीय होते हैं...अमीर का सपना अलग होता है वहीँ गरीब का अलग
अंधे का सपना आँख मिल जाने का होता है ..ये अलग बात है की आंख मिल जाने के बाद वो संतोष से रह पायेगा या वो नए सपने देखने लग जाएगा ..कई बार उसकी नींद हराम होने का भी कारक हो सकते हैं ..
मध्यवर्ग के सपनों का वर्ग भी अलग दृष्टीकोण का होता है .. वो आमतौर पर डाक्टर इंजिनियर टीचर एकाउंटेंट आदि बनने के सपने पालता है ..
कुवारी कन्या अच्छे वर का सपना देखती है इसकी चाहत इतनी प्रबल होती है की कई बार उस सपने को माँ बाप की अनुमति के पूर्व ही साकार कर लेती है ..
उसके लिए सोमवार का व्रत रखती है .उसका और उसके माता पिता का यही सपना होता है की वो संभावित वर सारी बलाएँ अपने सर ओढ़ ले ..
नेता टिकट मिलने का टिकट मिलने पर चुनाव जितने का चुनाव जितने के बाद मंत्री पद मिलने का और मंत्री पद मिलने के बाद चुनाव में जितने में खर्च हुए धन की वसूली केसे हो तथा कमीशन और कमसिन का जुगाड़ कैसे हो इसके सपने देखता है ...
सपने के एक अच्छी बात ये होती है की उसे देखने का पैसा नहीं लगता इसलिए कोई भी परंपरागत कंगाल भी किसी भी प्रकार के सपने देखने के लिए स्वतंत्र है ...और यही हमारे लोकतंत्र का मूलमंत्र है.. हम स्वतंत्र हैं इसका सही आभास सपने में ही होता है ...हमारे माननीय भी हमे राष्ट्र निर्माण के सपने देखने के लिए प्रेरित करते रहते हैं ... हम राष्ट्र निर्माण के सपने देखते हैं तब तक हमारे माननीय उनके लिए घरों बंगलों और हवेलियों का निर्माण कर लेतें है ..
यानि जनता बिना छेद वाली चुसनी इस आशा में चूसती रहती है की कभी रस आएगा पर रस उपर से ही चूस लिया जाता है ..
में भी सपने देखता रहता हूँ और इसका में भयंकर रूप से आदि हूँ .. मेने अपने जीवन कई प्रकार के सपने देखे हैं...में अक्सर जल्दी करोडपति बनने के सपने देखता हूँ ..और इसे साकार करने के लिए प्रयत्नशील भी हूँ ..मेरे कुछ मित्र इसे साकार करने में सफल हुए हैं ...
पर मेरा ये सपना साकार अभी तक साकार नहीं हुआ..
,,उसका मुख्य कारण मेरे मध्यवर्गीय संस्कार जो मुझे घोषित, अधिकारित, और व्यवसायिक तौर पर बेईमान नहीं बनने देते ..में इन कथित संस्कारों को छोड़ कर धनवान बनना चाहता हूँ और इसके लिए थोडा बेईमान भी बनने के लिए तत्पर हूँ , पर ये संस्कार मेरे साथ साए की तरह हमेशा रहते हैं ..
मेने कई बार सोचा की पैसा कमाने के लिए कोई छोटा मोटा चिंदी चोर ही बन जाऊं ...इसलिए रात को एक दो बार मेने एक दो मकानों में भी झाँका की कोई माल हो तो ले उड़ू..पर अन्दर बंधे पालतू कुत्ते ने जब मुझे घुर कर देखा तो मेरी हिम्मत पस्त हो गई और चोर बनने का ख्याल त्याग दिया ..
मुझे इस बात का ज्ञान है और मेरा अर्थशास्त्र कहता है की जिन घरों में विदेशी नस्ल के कुत्ते होते हैं ..उन्ही घरों में माल होने की सम्भावना ज्यादा होती है ..भारत के बिना कुत्तो वाले घरों में तो कई बार आटे के डब्बे भी खाली मिलते है ..और इसी कारण इस प्रकार के घरों के मालिक बड़े ही धार्मिक प्रवर्ती के होते है क्योंकि आधे से उपवास रखने से अनाज कम खत्म होता है ..हमारे स्वर्गीय प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी ने भी उपवास रखने के लिया आव्हान किया था ..
गाँधी जी को तो पता था की देश चोट्टो के हाथों में जा रहा है इसलिए जनता आधे समय भूखे मरेगी..इसीलिए उन्होंने देश की जनता को पहले से ही उपवास का मानव जीवन में कितना महत्त्व है बता दिया था ..
मेने सफल होने के और भी प्रयास किये ...मेने एक बार एक आदमी को नोकरी लगाने का गच्चा देकर कुछ राशी झटक ली ...थोड़े दिन इंतजार करने के बाद वो एक दिन घर आ गया ...
मेने मेरे लड़के से कहा ..जा उसको बोल दे में घर नहीं हूँ ....लड़का भी आखिर मेरी ही ओलाद ..उसने उन महाशय से कहा पापा घर नहीं है ..तो उसने कहा तो फिर तुम्हारे पापा कहाँ है ..? मेरे सुपुत्र ने कहा जी वो घर में है ..मेने अपना माथा पीट लिया ...
में झूठ भी ढंग से नहीं बोल सकता झूठ बोलू तो काला कोवा काटे उससे पहले तो मेरी दिल की धड़कन तेज हो जाती है ...और गला खुश्क हो जाता है ...और सामने वाला एक मिनट में ताड़ जाता है .. और काटने के लिए कोवे की जरुरत ही नहीं रहती ..
एक बार मुझे सिनेमा में दो लुच्चों ने रगड़ दिया ..कारण ये की वो एक अति सुन्दर महिला के साथ संस्क्रती के विरुद्ध आचरण कर रहे थे ...मेने मना किया तो ....
कुछ लोग बोले भई एक दो तो तुम भी जमाते ..मेने कहा अरे वो तो में उनको छटी का दूध याद दिला देता पर में झगड़ा नहीं बढ़ाना चाहता था ..असल में मेरी हिम्मत ही नहीं है झगड़ा करने ..बस यूँही शेखी बघार रहा था ..ताकि मेरी कथित इज्ज़त बची रहे ..
कुल जमा बात ये की में भी उन मध्यवर्गीय लोगो में से हूँ जो अपनी ठुकाई हो जाए तो भी संस्कारवान होने का बहाना कर लेते हैं ..और घर आ जाते है और सूजे हुए थोबड़े के बारे में बाइक से नीचे गिरने का कारण बता देते हैं .. खेर जो भी अपनी इज्ज़त और संस्कृति बचाने में जरुर सफल हूँ ..हांलाकि इससे मुझे घाटा होता है ...पिता जी ने इज्ज़त रूपी बैल की पूंछ पकड़ा दी उसे छोड़ नहीं सकता चाहे वो मुझे जब चाहे घसीटे ..यही मेरी विरासत है ...
दुकान पर सामन लेने जाता हूँ दुकानदार खुल्ले नहीं होने का बहाना कर माचिस और टॉफी पकड़ा देता है ,,,विरोध करने पर वो मुझे घूर कर देखता है ..में चुपचाप रवाना हो जाता हूँ ..
केवल सपने देखता हूँ और खुश रहता हूँ ..
ख्याली घोड़े दोड़ा कर ही संतोष में हूँ .. दफ्तर के लोग जब कभी हड़ताल करते हैं में जुलुस में सबसे पीछे रहता हूँ ताकि कोई देख नहीं ले ...
एक बार तो मुझे डाकू बनने का ख्याल आया ...पर एक दिन टीवी पर एक डाकू का एनकाउंटर देखा जिसमे वो सडक पर मरे कुत्ते की तरह पड़ा था ..तो मेरी हिम्मत जवाब दे गई ...
में अपने जीवन में सफल होने के लिए तय ही नहीं कर पाया की क्या करूँ ..मेरा मन था की में गायक बनू तो पिताजी ने कहा ..भांड बनोगे ..इतने कुलीन घराने के हो कर ऐसे सोचते हो ....
फिर ध्यान में आया की आजकल खिलाडी रातो रात अमीर बन रहे हैं ..तो मेने क्रिकेट खेलना शुरू किया ..तो पिताजी ने कहा ये धोबी का धोवना छोड़ो और पढाई करो ..
एक लड़की सामने वाले घर में रहती थी मुझे देख कर वो मुस्कराती थी ...अब मुझे ये पता नहीं था की वो मेरी मुर्खता या लल्लूपन पर मुस्कराती है या मुझ पर आसक्ति से मुस्कराती है ...
में डर और झिझक के मारे उससे कभी पूछ ही नहीं पाया ..मुझे याद है की एक बार मेरे मुहल्ले के एक शोहदे ने एक कन्या का रास्ते में हाथ पकड़ कर प्रेम निवेदन किया ..उसे ऐसा करते कुछ लोंगो ने देख लिया ..उन्होंने उसकी वो धुनाई की ..बस पूछो मत ..वो मंज़र मुझे आज भी ताज़ा था ..और ये ताज़ा ही रहा और लड़की की शादी हो गई ..
खेर शादी मेरी भी हुई और भाग्य से पत्नी भी सुन्दर मिली ...संस्कारों के कारण नहीं बल्कि उसे कोई टपोरी छेड़े नहीं ,या कोई सज्जन घूरे नहीं में बाहर कम ही लेजाता हूँ ..
आजकल शराफत के भी पैमाने बदल गए हैं ...इस कारण कोई भी व्यक्ति किसी सुन्दर महिला को घूरे तो इसे बुरा नहीं माना जाता ..घूरने का अधिकार तो आजकल शास्वत हो गया है ..सभी घूरते हैं
छेड़ना टपोरी का काम है ..और ये संख्या भी बहुताय में हो गई है ..
एक बार एक सज्जन ने मेरी पत्नी को घूरा.. मेने कहा उधर मत देखो ...पत्नी बोली घूर ही तो रहा है ...मेने सोचा कल को कोई टपोरी छेड़ेगा तो कह देगी छेड़ ही तो रहा है ..बलात्कार तो नहीं कर रहा है ..पर में संस्कार वान हूँ इसलिए चुपचाप उसे घर ले आया ...और शुक्र मनाया की ..तीसरे प्रकार की दुर्घटना नहीं हुई ...अन्यथा
मेरे संस्कारों का जुलुस निकल जाता ..
कुल मिला कर मेने घर की इज्ज़त बचाने के लिए अपने सभी सपनो को कुर्बान कर दिया ,,,जब भी किसी सपने को साकार करने आगे कदम बढ़ाता तो ..मेरे संस्कार मुझे रोक लेते ..
में अपने जीवन में ना घोडा बन सका ...और ना ही गधा बन सका ... दिन में संस्कार साए की तरह साथ में रहते हैं और रात में सपने बन कर ....
Tuesday, February 1, 2011
लाठी एक लाभ अनेक
मित्रों जिसकी लाठी उसकी भेंस की कहावत बड़ी ही आम है, किसी जमाने में इस कहावत का उदभव लाठी का प्रयोग कर किसी की भेंस हांक ले जाने के परिणामस्वरूप ही हुआ होगा और कालांतर में लाठी अपने इन्ही गुणों के कारण शक्ति का प्रतिक बन गई, , लाठी अगर हाथ में हो तो अगला आदमी आपसे विनम्र व्यवहार करता है, लाठी सदभावना की प्रतिक है लाठी हाथ में हो तो आपके सभी दुर्गुण भी सदगुणों में परिवर्तित हो जाते हैं, हाथ में लाठी हो तो अगला इन्सान आपको बड़ी श्रद्धा और आत्मीयता से देखता है अगर आप उसे कोई कार्य करने को कहें तो वो फ़ौरन से पेश्तर करता है, लाठी धारकों के आदेश की अवहेलना कोई नहीं कर सकता, लाठी धारक सामर्थ्यवान होता है और इसी कारण वो समस्त दोषों से मुक्त रहता है, तभी तो तुलसीदास जी ने कहा था ''समरथ को नहीं दोष गुसाई'' लाठी हाथ में आते ही किसी भी व्यक्ति में साहस और शक्ति के संचार में आशातीत वृद्धी हो जाती है वह स्वयं को सक्षम और सबल महसूस करने लग जाता है और यही विश्वास आत्मनिर्भरता का प्रतिक है, लाठी हाथ में हो और तेवर जीवन में कुछ कर गुजरने के हो तो किसी भी व्यवसाय को बिना पूंजी के ही तुरंत शुरू किया जा सकता है, मेरे पड़ोस के भीमराज जी के मंजले लड़के ने तो हाथ में लाठी लेकर बनिए की डूबत उगाही का कार्य आरंभ क्या तो इतनी सफलता साथ लगी की कुछ सालों में उनकी स्वयं की फाइनेस कम्पनी खड़ी हो गई, वे इस सफलता का पूरा श्रेय केवल और केवल लाठी को देते हैं,
लाठी धारकों का शुमार मोतबिरों में हो जाता है , वो अघोषित पंच सरपंच हो जाते हैं , लाठी हाथ में हो तो आप असफल नही हो सकते, लाठी हाथ में हो तो कुत्ता भी नहीं काट सकता, लाठी में बहूत गुण हैं, लाठी मानव का पुरातन और बुनियादी हथियार है, लाठी बलवानों, पहलवानों, और लठेतों की शोभा रही हैं जिनकी सामाजिक परिवर्तन में बहूत मुख्य भूमिका रही हैं, गाँधी जी ने भी इन्ही गुणों के कारण ही लाठी को जीवनपर्यंत के लिए अपना हमसफ़र बनाया था, लाठी धारक जन्मजात नेतृत्वकर्ता लगता है,उसके नेतृत्व का सभी लोहा मानते हैं, एक बार की सहारा देने से आपकी ओलादें धोखा दे दे , पर लाठी सहारा देने के मामले में धोखा नहीं दे सकती शायद इसी लिए राजस्थान सरकार ने तो लाठी धारक वृद्धों को भी विकलांग का दर्जा देने की घोषणा की है, इस आदेश के बाद सरकारी लाभ लेने के लिए कई वृद्धजन जो बिना लाठी के भी चलफिर सकते हैं वे लाठियां थाम लेंगे, सरकार का ये आदेश लाठी के बाज़ार में फिर तेजी ले आएगा,
मेने कई लाठी धारकों के पास बड़ी ही सुन्दर लाठिया देखी है, मेरे मिलने वाले एक लाठीधारक अपनी प्रिय लाठी के रखरखाव पर काफी खर्चा करते हैं, वे समय समय पर उसे तेल पिलाते हैं, और उसे कई रेशमी धागों से सजा कर रखते हैं, उन्होंने अपनी लाठी को लोहे के छल्ले भी पहना रखे हैं, उनका कहना है की इससे प्रतिध्वन्धी में सदेव भय व्याप्त रहता है, वो हमेशा इस भय से थर्राया रहता है की कहीं लाठी मेरे सिर को तरबूज की भांति नहीं फोड़ दे, इस कारण वो सदेव लाठी धारक के प्रति श्रद्धा का भाव लिए रहता है, तो मित्रों लाठी के इन गुणों के बारे में जितना लिखा जाये कम है, और में सोच रहा हूँ की एक अदद लाठी में भी खरीद लूँ, पर मेरे मन एक बात और आ रही है लाठी तो 20
-30 रूपये में आ जाएगी पर अभी तक लाठी को चलाने के लिए जिस होंसले की दरकार होती है वो दुकान अभी दुनिया में नहीं खुली है, ये सोच कर मेने लाठी के लाख गुणों के बावजूद भी उसे खरीदने का इरादा त्याग दिया, किसी मित्र में ये क्षमता हो तो इसमें लाभ ही लाभ है,
लाठी धारकों का शुमार मोतबिरों में हो जाता है , वो अघोषित पंच सरपंच हो जाते हैं , लाठी हाथ में हो तो आप असफल नही हो सकते, लाठी हाथ में हो तो कुत्ता भी नहीं काट सकता, लाठी में बहूत गुण हैं, लाठी मानव का पुरातन और बुनियादी हथियार है, लाठी बलवानों, पहलवानों, और लठेतों की शोभा रही हैं जिनकी सामाजिक परिवर्तन में बहूत मुख्य भूमिका रही हैं, गाँधी जी ने भी इन्ही गुणों के कारण ही लाठी को जीवनपर्यंत के लिए अपना हमसफ़र बनाया था, लाठी धारक जन्मजात नेतृत्वकर्ता लगता है,उसके नेतृत्व का सभी लोहा मानते हैं, एक बार की सहारा देने से आपकी ओलादें धोखा दे दे , पर लाठी सहारा देने के मामले में धोखा नहीं दे सकती शायद इसी लिए राजस्थान सरकार ने तो लाठी धारक वृद्धों को भी विकलांग का दर्जा देने की घोषणा की है, इस आदेश के बाद सरकारी लाभ लेने के लिए कई वृद्धजन जो बिना लाठी के भी चलफिर सकते हैं वे लाठियां थाम लेंगे, सरकार का ये आदेश लाठी के बाज़ार में फिर तेजी ले आएगा,
मेने कई लाठी धारकों के पास बड़ी ही सुन्दर लाठिया देखी है, मेरे मिलने वाले एक लाठीधारक अपनी प्रिय लाठी के रखरखाव पर काफी खर्चा करते हैं, वे समय समय पर उसे तेल पिलाते हैं, और उसे कई रेशमी धागों से सजा कर रखते हैं, उन्होंने अपनी लाठी को लोहे के छल्ले भी पहना रखे हैं, उनका कहना है की इससे प्रतिध्वन्धी में सदेव भय व्याप्त रहता है, वो हमेशा इस भय से थर्राया रहता है की कहीं लाठी मेरे सिर को तरबूज की भांति नहीं फोड़ दे, इस कारण वो सदेव लाठी धारक के प्रति श्रद्धा का भाव लिए रहता है, तो मित्रों लाठी के इन गुणों के बारे में जितना लिखा जाये कम है, और में सोच रहा हूँ की एक अदद लाठी में भी खरीद लूँ, पर मेरे मन एक बात और आ रही है लाठी तो 20
-30 रूपये में आ जाएगी पर अभी तक लाठी को चलाने के लिए जिस होंसले की दरकार होती है वो दुकान अभी दुनिया में नहीं खुली है, ये सोच कर मेने लाठी के लाख गुणों के बावजूद भी उसे खरीदने का इरादा त्याग दिया, किसी मित्र में ये क्षमता हो तो इसमें लाभ ही लाभ है,
सुन्दरता के बाजारू मापदंड और समाज
सुंदर होना अथवा नहीं होना ये प्रक्रति और भोगोलिकता पर निर्भर है , गोरा रंग बिकाऊ है इसी कारण हप्ते में गोरा बनाने का धंधा जोरों पर है और इस धंधे ने अब कुटीर उद्योग का स्वरूप ले लिया है गली गली में ब्यूटी पार्लर खुल गए हैं.
दुनिया की सबसे पहली सुन्दरता का बाजारू प्रतिनिधित्व करने वाली बार्बी गुडिया भी गोरे रंग की ही थी, अगर कोई अफ्रीका में पैदा हो जाए तो उसमे उसका क्या कुसूर, और अगर कोई अमेरिका में तो उसका भी क्या कुसूर....
कुसूर मानसिकता का है,
अव्वल तो ये की कोई सुंदर है या नहीं इसकी राय किसी की भी उसकी निजी हो सकती है.
पर बाजारवाद के इस दौर में सुन्दरता को बेचने वालों ने इसके कुछ मापदंड गढ़ लिए हैं.
और इस कथित मापदंड की सुन्दरता से संपन्न कन्याएं विलुप्त प्रजाति के सामान हैं, और
मुझे लगता है की इस प्रकार की दुर्लभ कन्याएं आजकल मोडलिंग, फिल्म और टीवी धारवाहिकों में ही नज़र आती है, इस कारण इनकी मांग और पूर्ति का संतुलन बिगड़ा हुआ है.
मेरे पड़ोस में एक सज्जन के लड़के को सुन्दर पत्नी चहिए थी, पर जिस मापदंड की लड़की चहिए थी, उस प्रकार की मिल नहीं रही थी , लड़का आये दिन अच्छी भली, शिक्षित, सुसंस्कृत, और अच्छे परिवारों की लड़कियों को देखने के बाद मना कर देता, लड़का भी अपनी सूरत को लेकर बड़ा ही अंदेशे में रहता था, क्योंकि किसी सयाने मसखरे ने उसके साथ मसखरी कर के उसके दिमाग में ये बेठा दिया की उसकी सूरत फलां फिल्म के हीरो से मिलती है, लड़के ने अपनी सूरत को शीशे में देखा होगा तो सयाने की बात में दम लगा होगा, कुछ कमी अगर महसूस हुई होगी तो उसने उस हीरो की स्टाइल के बाल कटवा कर और उसके जेसी वेशभूषा धारण कर पूरी कर ली,
भगवान किसी दुश्मन के साथ भी ऐसा नहीं करे, एक दिन वो कहीं से लड़की देख कर आ रहा था और चलती बाइक पर ही अपने बाल संवार रहा था की बाइक से नीचे मुहं के बल गिर गया और सामने के चारों दांत टूट गए, सूरत हीरो से विलेन जेसी हो गई, हालत ये हो गई की कोई भी लड़की उससे शादी करने को राज़ी नहीं,,
खेर अब एक और सज्जन जो लड़के की इच्छा अनुसार काफी ढूंडढांड कर आसमान से उतरी परी जेसी कन्या को अपने घर की बहु बना कर लाये, लड़का सुन्दर पत्नी को को पा कर फुला नहीं समाता था, उसकी पूरी मित्रमंडली में उसकी धाक हो गई, आये दिन किसी भी पार्टी या फंक्शन में अपनी पत्नी की सुन्दरता का प्रदर्शन करने का अवसर नहीं चुकता, लड़की बेचारी परेशान उसे ये सब अच्छा नहीं लगता,
धीरे धीरे गली मुहल्ले और पान की दुकान और नुक्कड़ो पर उसकी सुन्दरता के चर्चे होने लगे, हालात ये बन गए की मुहल्ले के शोहदे और लुच्चे उसके घर के आमने सामने सारे दिन डेरा जमाये रहते की कब एक बार दीदार हो जाए, ज्योंही कभी शाम को लड़का उसको लेकर निकलता पूरी फौज उनके पीछे लग जाती और ठेठ उनकी मंजिल तक पहुंचा कर आती, कोई कोई शोहदा तो वही धुनी रमा लेता और प्रोग्राम ख़त्म होने पर वापसी में भी घर की फाटक तक छोड़ कर जाता, अब लुच्चों के कौन मुहँ लगे और पुलिस में भी क्या कह के शिकायत करें, घर की बदनामी का भी बेठे बिठाये डर,
लड़की की कोई सहेली अपने पति या भाई के साथ कभी उसे मिलने आते तो सहेली के भाई और पति भी उसकी सुन्दरता की तारीफ करने लगते, परिणाम ये की सज्जनों की भी सज्जनता संदेह के घेरे में आ गई, ठीक बात भी है मेनका ने विश्वामित्र का ईमान भी खराब कर दिया तो साधारण मानव का खराब होत्ते देर ही क्या लगे हैं....
इन सब हालातों के कारण लड़का भी अपनी पत्नी की अतिसुन्दरता से आजिज़ आ गया, एक दिन उसने अखबार में किसी रिसर्च के बारे में पढ़ा जिसमे बताया गया की सुन्दर पत्नियों के पति हार्ट अटेक के शिकार ज्यादा होते हैं, उसी दिन से उसे भी मारे शंका या रिसर्च की बात सही होगी इस कारण वो भी अपने सीने में थोडा थोडा दर्द महसूस करने लगा, पर अब किया क्या जा सकता था भुगतो अब,
प्रशंगवश में एक अनुभव और बाँटना चाहता हूँ, मेरे पडोसी के लड़के ने एक अति सुन्दर कन्या से विवाह किया, चाँद सा मुखड़ा पर अक्ल में थोड़ी पैदल, पर लड़के को कोई शिकवा नहीं, लड़की सुन्दर है तो काफी है जेसे घरगरस्थी चलाना गौण हो और नस्ल सुधार प्रमुख, लड़की सारे दिन लटरपटर कर चलती फुदकती रहती थी , इस क्रम में एक दिन घर की सीढियों से गिर गई, चाँद से मुखड़े पर पुरे पंद्रह टांके आये, एक दांत पूरा और एक आधा टूट गया, लड़के को उसी दिन बुखार आ गया,
अब लड़कों को या उन लड़कियों या उन माँ बापों को कौन बताये की सुन्दर होना सब कुछ नहीं है, इन्सान के गुण मायने रखते है, सुन्दरता बहूत क्षणिक होती है सुन्दरता छलावा है, वो अस्थाई है
सुन्दरता को छु नहीं सकते केवल महसूस किया जाता है, ये तो आपकी मनोस्थति पर निर्भर करता है की आप किसे सुन्दर मानेंगे.
कहते है लेला सांवली थी पर मजनू के लिए वो सबसे सुन्दर थी, पर आजकल सुन्दरता के बाजारू मापदंडो ने उन सभी लड़कियों के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी है जो इन कथित मापदंडो के दायरे में नहीं आती, उनकी शादी समय पर नहीं हो पाती, और भी कई समस्याएँ होंगी जो यहाँ उल्लेखित करना उचित नहीं, एक दिन एक सज्जन पान की दुकान पर मिल गए और लड़की की शादी का रोना रोने लगे, उनकी पीड़ा ये की उनकी इतनी सुसंस्कृत, पढ़ी लिखी लड़की को कोई पसंद नहीं कर रहा क्योंकि लड़की जरा सांवली है, मेने अपना माथा पीट लिया, हम कोनसे ज़माने में जी रहे हैं और कहाँ जा रहे हैं,
दुनिया की सबसे पहली सुन्दरता का बाजारू प्रतिनिधित्व करने वाली बार्बी गुडिया भी गोरे रंग की ही थी, अगर कोई अफ्रीका में पैदा हो जाए तो उसमे उसका क्या कुसूर, और अगर कोई अमेरिका में तो उसका भी क्या कुसूर....
कुसूर मानसिकता का है,
अव्वल तो ये की कोई सुंदर है या नहीं इसकी राय किसी की भी उसकी निजी हो सकती है.
पर बाजारवाद के इस दौर में सुन्दरता को बेचने वालों ने इसके कुछ मापदंड गढ़ लिए हैं.
और इस कथित मापदंड की सुन्दरता से संपन्न कन्याएं विलुप्त प्रजाति के सामान हैं, और
मुझे लगता है की इस प्रकार की दुर्लभ कन्याएं आजकल मोडलिंग, फिल्म और टीवी धारवाहिकों में ही नज़र आती है, इस कारण इनकी मांग और पूर्ति का संतुलन बिगड़ा हुआ है.
मेरे पड़ोस में एक सज्जन के लड़के को सुन्दर पत्नी चहिए थी, पर जिस मापदंड की लड़की चहिए थी, उस प्रकार की मिल नहीं रही थी , लड़का आये दिन अच्छी भली, शिक्षित, सुसंस्कृत, और अच्छे परिवारों की लड़कियों को देखने के बाद मना कर देता, लड़का भी अपनी सूरत को लेकर बड़ा ही अंदेशे में रहता था, क्योंकि किसी सयाने मसखरे ने उसके साथ मसखरी कर के उसके दिमाग में ये बेठा दिया की उसकी सूरत फलां फिल्म के हीरो से मिलती है, लड़के ने अपनी सूरत को शीशे में देखा होगा तो सयाने की बात में दम लगा होगा, कुछ कमी अगर महसूस हुई होगी तो उसने उस हीरो की स्टाइल के बाल कटवा कर और उसके जेसी वेशभूषा धारण कर पूरी कर ली,
भगवान किसी दुश्मन के साथ भी ऐसा नहीं करे, एक दिन वो कहीं से लड़की देख कर आ रहा था और चलती बाइक पर ही अपने बाल संवार रहा था की बाइक से नीचे मुहं के बल गिर गया और सामने के चारों दांत टूट गए, सूरत हीरो से विलेन जेसी हो गई, हालत ये हो गई की कोई भी लड़की उससे शादी करने को राज़ी नहीं,,
खेर अब एक और सज्जन जो लड़के की इच्छा अनुसार काफी ढूंडढांड कर आसमान से उतरी परी जेसी कन्या को अपने घर की बहु बना कर लाये, लड़का सुन्दर पत्नी को को पा कर फुला नहीं समाता था, उसकी पूरी मित्रमंडली में उसकी धाक हो गई, आये दिन किसी भी पार्टी या फंक्शन में अपनी पत्नी की सुन्दरता का प्रदर्शन करने का अवसर नहीं चुकता, लड़की बेचारी परेशान उसे ये सब अच्छा नहीं लगता,
धीरे धीरे गली मुहल्ले और पान की दुकान और नुक्कड़ो पर उसकी सुन्दरता के चर्चे होने लगे, हालात ये बन गए की मुहल्ले के शोहदे और लुच्चे उसके घर के आमने सामने सारे दिन डेरा जमाये रहते की कब एक बार दीदार हो जाए, ज्योंही कभी शाम को लड़का उसको लेकर निकलता पूरी फौज उनके पीछे लग जाती और ठेठ उनकी मंजिल तक पहुंचा कर आती, कोई कोई शोहदा तो वही धुनी रमा लेता और प्रोग्राम ख़त्म होने पर वापसी में भी घर की फाटक तक छोड़ कर जाता, अब लुच्चों के कौन मुहँ लगे और पुलिस में भी क्या कह के शिकायत करें, घर की बदनामी का भी बेठे बिठाये डर,
लड़की की कोई सहेली अपने पति या भाई के साथ कभी उसे मिलने आते तो सहेली के भाई और पति भी उसकी सुन्दरता की तारीफ करने लगते, परिणाम ये की सज्जनों की भी सज्जनता संदेह के घेरे में आ गई, ठीक बात भी है मेनका ने विश्वामित्र का ईमान भी खराब कर दिया तो साधारण मानव का खराब होत्ते देर ही क्या लगे हैं....
इन सब हालातों के कारण लड़का भी अपनी पत्नी की अतिसुन्दरता से आजिज़ आ गया, एक दिन उसने अखबार में किसी रिसर्च के बारे में पढ़ा जिसमे बताया गया की सुन्दर पत्नियों के पति हार्ट अटेक के शिकार ज्यादा होते हैं, उसी दिन से उसे भी मारे शंका या रिसर्च की बात सही होगी इस कारण वो भी अपने सीने में थोडा थोडा दर्द महसूस करने लगा, पर अब किया क्या जा सकता था भुगतो अब,
प्रशंगवश में एक अनुभव और बाँटना चाहता हूँ, मेरे पडोसी के लड़के ने एक अति सुन्दर कन्या से विवाह किया, चाँद सा मुखड़ा पर अक्ल में थोड़ी पैदल, पर लड़के को कोई शिकवा नहीं, लड़की सुन्दर है तो काफी है जेसे घरगरस्थी चलाना गौण हो और नस्ल सुधार प्रमुख, लड़की सारे दिन लटरपटर कर चलती फुदकती रहती थी , इस क्रम में एक दिन घर की सीढियों से गिर गई, चाँद से मुखड़े पर पुरे पंद्रह टांके आये, एक दांत पूरा और एक आधा टूट गया, लड़के को उसी दिन बुखार आ गया,
अब लड़कों को या उन लड़कियों या उन माँ बापों को कौन बताये की सुन्दर होना सब कुछ नहीं है, इन्सान के गुण मायने रखते है, सुन्दरता बहूत क्षणिक होती है सुन्दरता छलावा है, वो अस्थाई है
सुन्दरता को छु नहीं सकते केवल महसूस किया जाता है, ये तो आपकी मनोस्थति पर निर्भर करता है की आप किसे सुन्दर मानेंगे.
कहते है लेला सांवली थी पर मजनू के लिए वो सबसे सुन्दर थी, पर आजकल सुन्दरता के बाजारू मापदंडो ने उन सभी लड़कियों के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी है जो इन कथित मापदंडो के दायरे में नहीं आती, उनकी शादी समय पर नहीं हो पाती, और भी कई समस्याएँ होंगी जो यहाँ उल्लेखित करना उचित नहीं, एक दिन एक सज्जन पान की दुकान पर मिल गए और लड़की की शादी का रोना रोने लगे, उनकी पीड़ा ये की उनकी इतनी सुसंस्कृत, पढ़ी लिखी लड़की को कोई पसंद नहीं कर रहा क्योंकि लड़की जरा सांवली है, मेने अपना माथा पीट लिया, हम कोनसे ज़माने में जी रहे हैं और कहाँ जा रहे हैं,
सदाचारी (दुराचारी ) और उनका सदाचार (दुराचार )
प्रभावशाली (बलशाली), सज्जनों (दुर्जनों) का हमारे समाज में सदेव से ही आदर रहा है, महाबलियों की अपने क्षेत्र में धाक रहती है,हनमान जी और लक्ष्मी जी के कृपा पात्र इन महानुभावों को निर्बलजन श्रद्धा भाव से देखते हैं और कई आशाएं इनको लेकर वे अपने मन में रखते हैं, निर्बलजन इनकी संगत के लिए सदा ही लालायित रहते हैं, किसी की लड़की भाग गई हो, या किसी व्यापारी को अपनी डूबत राशी वसूल करनी हो, या किसी लुच्चे की छेड़छाड़ से तंग कन्या को उससे पीछा छुडवाना हो, इन सभी कामों को करने के लिए ये भद्रजन सदेव तत्पर रहते हैं, इस प्रकार के वर्ग में आने वाले किसी राजनितिक दल के छुटभैये नेता भी होते हैं, जो इनके आभामंडल को और अभामंडित करता है. इनके घर पर किसी भी प्रकार का आयोजन हो, निर्बलजन अपनी मुफ्त सेवाएं देते हैं,
हमारे मुहल्ले में भी कुछ मसलपावर रखने वाले सज्जन हैं , में इनमे से कुछ प्रमुख व्यक्तित्वों की चर्चा यहाँ करूँगा,
मुझे याद है हमारे पास में रहने वाले एक पहलवान जी के लड़के की शादी थी, पुरे मुहल्ले के लड़के सारी रात नाचे, जेसे उनकी खुद की शादी हो रही हो..उनके शांति पूर्ण व्यवहार (आतंक पूर्ण ) के कारण केटरिंग वाला, घोड़ी और बेंड वाला, किराने वाला, तेली, माली, नाई सभी ने घर का काम समझ कर किया और नेग और सेवा शुल्क के बदले केवल उनकी कृपा का आशीर्वाद माँगा..
उन्होंने दिया भी, और वे सभी धन्य हो गए,
एक प्रभावशाली सज्जन बड़े ही मिलनसार हैं, उनके घर मिलने वालों का ताँता लगा रहता हैंउसमे नगर के प्रमुख लोग होते हैं जो उनके कुछ निजी काम करवाने आते हैं,इन कामों में प्रमुख काम वो होते हैं जो कई बार सरकारी उदासीनता के कारण या कानून के दायरे के बाहर होने के कारण वे इनसे करवाते हैं, उनकी धाक का आलम ये है की उनकी अतिसुन्दर बहन मुहल्ले के सभी लुच्चों की भी बड़ी बहिन है, मजाल है जो कोई लुच्चा अपने मन में भी उसके प्रति कोई बुरा ख्याल लाये. राखी के दिन सभी महाबली जी के घर उनकी बहन से राखी बंधवाने लाइन में खड़े रहते हैं.
इनका एक लड़का भी है जो उसकी उम्र के सभी लड़कों का आदर्श है, क्योंकि आगामी समय में अपने पिता का स्थान वही लेगा,
मेने सोचा की निर्बल का तो आज के ज़माने में बेडा ही गर्क है, मेरे पड़ोस में एक सज्जन रहते हैं, सीधे साधे मध्यवर्गीय नोकरी पेशा व्यक्ति, उनकी पीड़ा ये है की उनके एक लड़की है जो शोहदों की छेड़खानी से त्रस्त हैं, वो बेचारी शाम के बाद तो घर से भी नहीं निकल सकती ...
वहीँ एक सज्जन और हैं, जिनके चार मुस्टंडे जेसे लठेत साइज के लड़के हैं जो उस इलाके में घटने वाली लगभग हर वारदात में लिप्त रहते हैं, बड़े वाले का तो फोटो भी थाने में लगा हुआ है जो उनके गोरव में और बढ़ोतरी ही नहीं करता बल्कि इससे उनकी इस क्षेत्र में मार्केट वेल्यु मेंटेन भी रहती है, उनके एक बड़ी ही सुन्दर लड़की है वो आधी रात को भी कहीं आये जाए किसी को कोई परेशानी नहीं, सभी शोहदे उसे अपनी दीदी मानते हैं. और उनकी पत्नी को अपनी मां,
पास के तबेले से दुधिया बगैर कहे 7 - 8 लीटर दूध रोज दे जाता है.. क्योंकि उसकी भेंसे पुरे इलाके में बेखोफ घुमती है काईन हॉउस वाले पहलवान जी के डर से पकड़ते ही नहीं, और भेंसे पूरी सब्जी मंडी में इधर उधर मुहँ मार के आ जाती है पर मजाल है कोई किसी भेंस को छड़ी भी मार दे..
एक बार हमारे मुहल्ले में एक ही रात में कई निर्बलजनों के घरों में चोरी हो गयी और ताले टूटे, पर मजाल है की किसी बलशाली के यहाँ से सुई भी हिली हो..
चोरों की हिम्मत ही नहीं की वो इनके घर की फाटक के पास भी आ जाये..
मुहल्ले में कोई मंत्री नेता आता है तो स्वागत ये ही करते हैं, पिछले दिनों हमारे मुहल्ले में हनुमान जी के मंदिर के अन्नकूट महोत्सव में सम्मिलित होने मंत्री जी आये, तब उनके साथ मंच पर महाबली आसीन हुए और सभी निर्बल नीचे.
हनुमान जी वेसे तो सबके भगवान है, पर इन पर उनकी विशेस कृपा रहती है, में मंगलवार के दिन हनुमान जी के मंदिर जाता हूँ, देखने में आता है की महाबली जी को बिना लाइन में लगे तुरंत दर्शन करवा दिए जाते हैं, दर्शन के वक्त पुजारी की भाव भंगिमा देखते ही बनती है, वो उनकी तरफ बड़ी ही आशा से देखता है, गनीमत है की अन्य भक्तों की उपस्थिति के कारण महाबली जी द्वारा लाई माला वो उन्हें ही नहीं पहना देता और हनुमान जी की बजाय उनके पांव में नहीं लोट जाता,, वो इस ज्ञान से भली भांति परिचित है की आज के ज़माने में मुसीबत पता नहीं कब किस शक्ल में आ जाए और तब हनुमान जी आये या नहीं पर ये गारंटी है की ये तुरंत आ सकते हैं.
मुहल्ले में एक पहलवान जी का लड़का उनके पिता जेसा पहलवान तो नहीं बन सका पर उसने अपने पिता साख के नाम पर श;शुल्क सामाजिक सेवा का कार्य आरम्भ किया तो उसमे काफी नाम कमाया, पेसे का हिसाब तो वो नहीं रखता, वो कहता है की पैसा तो हाथ का मेल है, आता जाता रहता है, उसने कई बेरोजगार युवाओं को अपनी सामाजिक संस्था (गिरोह) में शामिल कर उनको रोज़गार उपलब्ध कराया. उसकी इन अभिनव सेवाओं से इलाके के सभी सूदखोर, दलाल, और जल्दी से धन अर्जित करने के इच्छुक सभी नागरिक इस युवा समाज सेवक और उद्यमी को इस बार 26 जनवरी को सम्मानित करवाने के लिए मंत्री जी से आग्रह कर रहें है, हमे भी पूरा विश्वास है की इन्हें ही सम्मानित किया जायेगा, क्योंकि इनसे बड़े ये गोरव पहले ही प्राप्त कर चुके है सो इस बार इनका चांस पक्का है...
हमारे मुहल्ले में भी कुछ मसलपावर रखने वाले सज्जन हैं , में इनमे से कुछ प्रमुख व्यक्तित्वों की चर्चा यहाँ करूँगा,
मुझे याद है हमारे पास में रहने वाले एक पहलवान जी के लड़के की शादी थी, पुरे मुहल्ले के लड़के सारी रात नाचे, जेसे उनकी खुद की शादी हो रही हो..उनके शांति पूर्ण व्यवहार (आतंक पूर्ण ) के कारण केटरिंग वाला, घोड़ी और बेंड वाला, किराने वाला, तेली, माली, नाई सभी ने घर का काम समझ कर किया और नेग और सेवा शुल्क के बदले केवल उनकी कृपा का आशीर्वाद माँगा..
उन्होंने दिया भी, और वे सभी धन्य हो गए,
एक प्रभावशाली सज्जन बड़े ही मिलनसार हैं, उनके घर मिलने वालों का ताँता लगा रहता हैंउसमे नगर के प्रमुख लोग होते हैं जो उनके कुछ निजी काम करवाने आते हैं,इन कामों में प्रमुख काम वो होते हैं जो कई बार सरकारी उदासीनता के कारण या कानून के दायरे के बाहर होने के कारण वे इनसे करवाते हैं, उनकी धाक का आलम ये है की उनकी अतिसुन्दर बहन मुहल्ले के सभी लुच्चों की भी बड़ी बहिन है, मजाल है जो कोई लुच्चा अपने मन में भी उसके प्रति कोई बुरा ख्याल लाये. राखी के दिन सभी महाबली जी के घर उनकी बहन से राखी बंधवाने लाइन में खड़े रहते हैं.
इनका एक लड़का भी है जो उसकी उम्र के सभी लड़कों का आदर्श है, क्योंकि आगामी समय में अपने पिता का स्थान वही लेगा,
मेने सोचा की निर्बल का तो आज के ज़माने में बेडा ही गर्क है, मेरे पड़ोस में एक सज्जन रहते हैं, सीधे साधे मध्यवर्गीय नोकरी पेशा व्यक्ति, उनकी पीड़ा ये है की उनके एक लड़की है जो शोहदों की छेड़खानी से त्रस्त हैं, वो बेचारी शाम के बाद तो घर से भी नहीं निकल सकती ...
वहीँ एक सज्जन और हैं, जिनके चार मुस्टंडे जेसे लठेत साइज के लड़के हैं जो उस इलाके में घटने वाली लगभग हर वारदात में लिप्त रहते हैं, बड़े वाले का तो फोटो भी थाने में लगा हुआ है जो उनके गोरव में और बढ़ोतरी ही नहीं करता बल्कि इससे उनकी इस क्षेत्र में मार्केट वेल्यु मेंटेन भी रहती है, उनके एक बड़ी ही सुन्दर लड़की है वो आधी रात को भी कहीं आये जाए किसी को कोई परेशानी नहीं, सभी शोहदे उसे अपनी दीदी मानते हैं. और उनकी पत्नी को अपनी मां,
पास के तबेले से दुधिया बगैर कहे 7 - 8 लीटर दूध रोज दे जाता है.. क्योंकि उसकी भेंसे पुरे इलाके में बेखोफ घुमती है काईन हॉउस वाले पहलवान जी के डर से पकड़ते ही नहीं, और भेंसे पूरी सब्जी मंडी में इधर उधर मुहँ मार के आ जाती है पर मजाल है कोई किसी भेंस को छड़ी भी मार दे..
एक बार हमारे मुहल्ले में एक ही रात में कई निर्बलजनों के घरों में चोरी हो गयी और ताले टूटे, पर मजाल है की किसी बलशाली के यहाँ से सुई भी हिली हो..
चोरों की हिम्मत ही नहीं की वो इनके घर की फाटक के पास भी आ जाये..
मुहल्ले में कोई मंत्री नेता आता है तो स्वागत ये ही करते हैं, पिछले दिनों हमारे मुहल्ले में हनुमान जी के मंदिर के अन्नकूट महोत्सव में सम्मिलित होने मंत्री जी आये, तब उनके साथ मंच पर महाबली आसीन हुए और सभी निर्बल नीचे.
हनुमान जी वेसे तो सबके भगवान है, पर इन पर उनकी विशेस कृपा रहती है, में मंगलवार के दिन हनुमान जी के मंदिर जाता हूँ, देखने में आता है की महाबली जी को बिना लाइन में लगे तुरंत दर्शन करवा दिए जाते हैं, दर्शन के वक्त पुजारी की भाव भंगिमा देखते ही बनती है, वो उनकी तरफ बड़ी ही आशा से देखता है, गनीमत है की अन्य भक्तों की उपस्थिति के कारण महाबली जी द्वारा लाई माला वो उन्हें ही नहीं पहना देता और हनुमान जी की बजाय उनके पांव में नहीं लोट जाता,, वो इस ज्ञान से भली भांति परिचित है की आज के ज़माने में मुसीबत पता नहीं कब किस शक्ल में आ जाए और तब हनुमान जी आये या नहीं पर ये गारंटी है की ये तुरंत आ सकते हैं.
मुहल्ले में एक पहलवान जी का लड़का उनके पिता जेसा पहलवान तो नहीं बन सका पर उसने अपने पिता साख के नाम पर श;शुल्क सामाजिक सेवा का कार्य आरम्भ किया तो उसमे काफी नाम कमाया, पेसे का हिसाब तो वो नहीं रखता, वो कहता है की पैसा तो हाथ का मेल है, आता जाता रहता है, उसने कई बेरोजगार युवाओं को अपनी सामाजिक संस्था (गिरोह) में शामिल कर उनको रोज़गार उपलब्ध कराया. उसकी इन अभिनव सेवाओं से इलाके के सभी सूदखोर, दलाल, और जल्दी से धन अर्जित करने के इच्छुक सभी नागरिक इस युवा समाज सेवक और उद्यमी को इस बार 26 जनवरी को सम्मानित करवाने के लिए मंत्री जी से आग्रह कर रहें है, हमे भी पूरा विश्वास है की इन्हें ही सम्मानित किया जायेगा, क्योंकि इनसे बड़े ये गोरव पहले ही प्राप्त कर चुके है सो इस बार इनका चांस पक्का है...
आदर्श सोसायटी घोटाला
आदर्श सोसायटी घोटाला सच में देश में जितने भी घोटाले हुए हैं, उन सब में आदर्श रहा है, में व्यक्तिगत तौर पर इस घोटाले को आदर्श घोटाले की संज्ञा इसलिए दे रहा हूँ क्योंकि आज दिन तक जितने भी घोटाले हुए उस सभी में या तो राजनेता, मंत्री या फिर उद्योगपति आदि ही शामिल होने का गोरव प्राप्त कर सकें हैं.
आदर्श सोसायटी घोटाले में पहली बार ऐसा हुआ है की देश की समस्त हस्तियाँ जो विभिन्न क्षेत्रों से ताल्लुक रखती है, सब ने समवेत रूप से इस घोटाले में भाग लिया है जिसमे देश की रक्षा करने वाले सेना नायक, मंत्री, नेता, उद्योगपति, कार्पोरेट जगत के नामचीन लोग यानि सभी वर्गों के, और भी कई होंगे जिनका खुलासा होना बाकी है , और इसी के चलते ये घोटाला आदर्श घोटाला कहलाने का पात्र बना, पर देश को सामूहिक रूप से लूटने का ये पहला अवसर है,
देश के घोटालेबाजों के कर कमल गरीब जनता को दुहने में लगे हैं इस तथ्य से सभी अवगत हैं , और इस बात की इनमे प्रतियोगिता भी पिछले लम्बे समय चल रही थी की कौन कितना दुह सकता है,
पर ये पहली बार हुआ है की इस घोटाले को यूनियन बना कर अंजाम दिया गया.
मिलकर घोटाला करने का लाभ ये है की इसमें पोल खुलने पर भी पकडे जाने का डर नहीं रहता क्योंकि लाभार्थियों के साथ में सज़ा देने वाले और जाँच करने वाले भी शामिल रहते हैं, इस प्रकार ये समस्त घोटालों में आदर्श घोटाला होता है.
इस घोटाले में भी पकडे गए हैं, पर क्या हुआ, जाँच के नाम पर कमिटी गठित, और कागजी घोड़े इस विभाग से उस विभाग दोड़ने लग गए हैं. और इन घोड़ो की दोड़ कभी खत्म नहीं होगी यानि जाँच जारी रहेगी.
कुल मिला कर देश में घोटाले करने की नई विधि का उदय हुआ है जो आगे चल कर कई और भी आदर्श घोटालों को अंजाम देगी,
मुझे चम्बल के डकेतों की अक्ल पर तरस आ रहा है, क्या आपको भी?
आदर्श सोसायटी घोटाले में पहली बार ऐसा हुआ है की देश की समस्त हस्तियाँ जो विभिन्न क्षेत्रों से ताल्लुक रखती है, सब ने समवेत रूप से इस घोटाले में भाग लिया है जिसमे देश की रक्षा करने वाले सेना नायक, मंत्री, नेता, उद्योगपति, कार्पोरेट जगत के नामचीन लोग यानि सभी वर्गों के, और भी कई होंगे जिनका खुलासा होना बाकी है , और इसी के चलते ये घोटाला आदर्श घोटाला कहलाने का पात्र बना, पर देश को सामूहिक रूप से लूटने का ये पहला अवसर है,
देश के घोटालेबाजों के कर कमल गरीब जनता को दुहने में लगे हैं इस तथ्य से सभी अवगत हैं , और इस बात की इनमे प्रतियोगिता भी पिछले लम्बे समय चल रही थी की कौन कितना दुह सकता है,
पर ये पहली बार हुआ है की इस घोटाले को यूनियन बना कर अंजाम दिया गया.
मिलकर घोटाला करने का लाभ ये है की इसमें पोल खुलने पर भी पकडे जाने का डर नहीं रहता क्योंकि लाभार्थियों के साथ में सज़ा देने वाले और जाँच करने वाले भी शामिल रहते हैं, इस प्रकार ये समस्त घोटालों में आदर्श घोटाला होता है.
इस घोटाले में भी पकडे गए हैं, पर क्या हुआ, जाँच के नाम पर कमिटी गठित, और कागजी घोड़े इस विभाग से उस विभाग दोड़ने लग गए हैं. और इन घोड़ो की दोड़ कभी खत्म नहीं होगी यानि जाँच जारी रहेगी.
कुल मिला कर देश में घोटाले करने की नई विधि का उदय हुआ है जो आगे चल कर कई और भी आदर्श घोटालों को अंजाम देगी,
मुझे चम्बल के डकेतों की अक्ल पर तरस आ रहा है, क्या आपको भी?
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