Thursday, January 13, 2011
क्या करे गुर्जर ?
गलत सरकारी नीतियों के कारण पशुपालन और कृषि से किसानो का मोहभंग हो रहा है, कई किसान आत्महत्या करने पर मजबूर हैं, इस देश में किसी ने नहीं सुना होगा की कोई कम्पनी मालिक या अधिकारी आर्थिक नुकसान या मोसम की मार से मरा हो पर इस देश के अन्नदाता किसान के बारे में ये खबरें आज आम हैं, आज नोकरी में जो पैसा एक माह में कमाया जा सकता है वो किसान 6 माह में भी किसान नहीं कम सकता, इन हालत में अगर गुर्जरों जेसी जाती आरक्षण की मांग कर नोकरी करना चाहती है तो क्या बुरा है, रही रेल की पटरी पर बेठने की तो कोई ये बता दे की सरकार से किसी ने कोई भी मांग की हो और सरकार ने उसे मान ली हो, शायद नहीं आज की तारीख में सरकारों का ये रंवेया हो गया है की जब तक सड़क पर नहीं उतरो कोई सुनवाई नहीं होती, में जन आन्दोलनों से पिछले २० सालों से जुडा हुआ हूँ, और मेरा अनुभव है की कोई भी संगठन या जाती अपने मजे के लिए सडक पर नहीं बैठती है, आलोचना करने वालो को जिन्दगी की हकीकत से भी वास्ता रखना चहिए,
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